2.बाजरे ( Bajra ) की खेती के बारे में पूरी जानकारी कि बाजरे का वैज्ञानिक नाम बाजरे की किस्में बाजरा कौन सी मिट्टी में बोया जाता है !

दोस्तों आज हम बताएंगे आपको बाजरे ( Bajra ) की खेती के बारे में पूरी जानकारी कि बाजरे का वैज्ञानिक नाम बाजरे की किस्में बाजरा कौन सी मिट्टी में बोया जाता है बाजरा सबसे ज्यादा कहां उत्पादन होता है

बाजरे ( Bajra ) का महत्व –

बाजरा मोटे अनाज वाली खाद्यान्न फसलों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसकी खेती दाना वह चारा दोनों के लिए की जाती है बाजरा के दाने को चावल की तरह पका कर आटे की रोटी बनाकर खाने में उपयोग किया जाता है बाजरे के दाने की पोस्ट गुणवत्ता जवार से अधिक होती है इसमें लगभग 73% कार्बोहाइड्रेट बाय जाती है

बाजरे ( Bajra ) का वानस्पतिक नाम – पेनिसेटम ग्लेकम

बाजरे का उत्पत्ति स्थान – अफ्रीका

बाजरे में गुणसूत्रों की संख्या – 2=2*=14

बाजरे के पौधे में प्रांगण – परप्रांगण

बाजरे ( Bajra ) का पुष्प कर्म – स्पाइक

बाजरे के दाना को कैरी ऑफिस कहते हैं

बाजरा के अन्य नाम गरीब का भोजन आदि नामों से जाना जाता है

बाजरे ( Bajra ) की फसल के लिए जलवायु –

इसकी बढ़वार के लिए नाम तथा उस क्षण मौसम अधिक उपयुक्त रहता है फसल में फूल आते समय एवं दाना बनते समय पकते समय स्वस्थ आकाश में तेज धूप की आवश्यकता होती है

बाजरे ( Bajra ) की फसल के लिए मर्दा एवं खेत की तैयारी कैसे करें –

बाजरे की फसल के लिए जल निकास युक्त बलुई दोमट मर्दा जिसमें जल धारण क्षमता अच्छी हो उपयुक्त रहती है साधारण इसकी खेती सभी तरह की मर्दो में की जा सकती है लेकिन हल्की मिट्टी में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है बाजरा का खेत तैयार करने के लिए गर्मी में गहरी जुताई करें एवं वर्षा होते ही 2 से 3 जूता ही देसी हलिया कल्टीवेटर से करके पाटा लगाकर मर्दा को भूर भूर एवं समतल कर करें भूमिगत कीटों को नष्ट करने के लिए 12 किलोग्राम कार्बन यह 3% करनाल फॉर 5% की दर से बुवाई के समय मिट्टी में मिला देना चाहिए ताकि फसल होने पर कितने लगे और पैदावार अच्छी हो !

अब बाजरे की फसल के लिए उन्नतशील किस्में आरएचबी 121 एच एच 2068 एच एच 208 पानी एग्रो 9444 एग्रो 9001 टाटा धनिया गंगा कावेरी गोवा बीच mh175 पूसा 23 586 एमआईडीसी टाटा 7171 श्रीराम 7172 और आदि किस्में पायोनियर 8686 पायनियर 86 एम88

बाजरे की फसल के लिए भारत में पहली बार बाजरा की शंकर की सम एचडी वन है यह किशन 1965 में लुधियाना से रिलीज हुई थी बाजरे की फसल में चारा के लिए उन्नत किसम राज बाजरा 2 जायद बाजरा

बाजरे ( Bajra ) का बीज उपचार तथा बीज दर –

बाजरे  की बीज दर सीधी बुवाई के लिए 4 से 5 केजी हेक्टर नर्सरी के लिए 2KG हेक्टर बीज की बुवाई की गहराई 1 से 2 सेंटीमीटर रखनी चाहिए

बाजरे का बीज उपचार दाने के लिए 4 से 5 किलो प्रति हेक्टर एवं हरे चारे के लिए 10 से 12 किलो प्रति हैक्टर बीज पर्याप्त रहता है बीजों को 20% नमक के घोल से उपचारित कर तत्पश्चात 3 ग्राम था एवं से प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें दिमाग के प्रकोप होने पर चार मिली कल और उपाय रिपोर्ट बीसीसी प्रति किलो बीज उपचारित करें सारी एवं लवणीय मिट्टी में बुवाई करनी हो तो बीज को 1% सोडियम सल्फेट में 12 घंटे तक भिगोकर साफ पानी से धोकर छाया में सूखने के बाद कवकनाशी से उपचारित करके बोये !

बाजरे ( Bajra )की बुवाई का समय तथा बुवाई की विधियां –

बाजरे की बुवाई असिंचित क्षेत्र में वर्षा आने पर सिंचित क्षेत्र में समय पर बुवाई जून मध्य से जुलाई तृतीय सप्ताह तथा वर्सेस के समय जून में बारिश होने पर बाजरे की बुवाई करें

बाजरे की फसल में खाद एवं उर्वरक –

बुवाई से 4 सप्ताह पूर्व 10 या 15 टन गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में मिला दें और ए सिंचित क्षेत्र में 30 क्रिकेट नत्रजन 20 किग्रा फास्फोरस बुवाई के समय प्रयोग करें और सिंचित क्षेत्र के लिए बुवाई के समय 30 किलो का नत्रजन 40 किलोग्राम फास्फोरस 20 किलोग्राम जिंक सल्फेट का उपयोग करें तथा 30 किलोग्राम नत्रजन 40 से 40 दिन के बाद सिटी बनते समय पर्याप्त नमी की अवस्था में छिड़काव कर देना चाहिए ताकि ताकि पूरा भराव एवं पकाऊ हो सके और ऊपर या पैदावार अच्छी हो सके

बाजरे की फसल में सिंचाई बाजरे की फसल खरीफ में वर्षा द्वारा ली जाती है समय पर वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है यदि वर्षा नहीं हो तो भूटान के समय सीटे बनते समय भूमि में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए सिंचाई कर देनी चाहिए

बाजरे की फसल में अंदर कृषि बुवाई के 20 से 30 दिन बाद निराई गुड़ाई कर खरपतवार निकाल लेना चाहिए तथा कमजोर पौधे को भी निकाल देना चाहिए तथा पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर या 10 से 15 सेंटीमीटर कर देनी चाहिए ! आवश्यकता होने पर 15 से 20 दिन बाद दूसरी निराई गुड़ाई कर देनी चाहिए और खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टर आधा किलो सक्रिय तत्व 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें !

बाजरी के पौधे में लगने वाले कीट काहरा, हरा,तेला, गंदी, बंद ,अरगड्डा, गोंदिया इन रोगों की रोकथाम के लिए कार्बोप्रोस्ट 1 पॉइंट 5% मिथाइल 1332 प्रतिशत चूर्ण का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए ! सफेद लट के लिए 1 किलोग्राम बीज को 3 ग्राम कार्बोप्रोस्ट 5% कान मिलाकर बुवाई करें और रोग ग्रस्त पौधे को निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए रोग के लिए 2 ग्राम कार्बेंडाजिम मैनकोज़ेब प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर दो-तीन दिन के अंदर दो तीन बार दो-तीन बार छिड़काव अवश्य करें और रोग ग्रस्त पौधे को उखाड़ कर फेंक देवें या नमक के 20% गोल में बीज को डुबोकर बुवाई करें !

बाजरे ( Bajra ) की फसल की कटाई मड़ाई –

बाजरे की फसल अक्टूबर के पहले सप्ताह पक कर तैयार हो जाती है खड़ी फसल में हसिया से सिट्टे तोड़ दिए जाते हैं तब दानों में नमी की मात्रा 20% हो तभी सिट्टे को पौधे से अलग करने चाहिए सीटों को सुखाकर बाजरे को थ्रेशर से निकाल लेवे !

बाजरे ( Bajra ) की उपज औसत 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टर, दाने की उपस्थिति 50 से 60 क्यूटल ,सूखा चारा प्रति हेक्टर तथा बाजरे की फसल को ढाई सौ से 300 क्विंटल हरा चारा प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है !

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