उड़द (black gram)
किसान भाइयों आज हम आपको बताएंगे उड़द ( urad ) की फसल के बारे में संपूर्ण जानकारी यह किस प्रकार की मिट्टी में अधिक पैदावार होता है तथा इसकी क्या-क्या खूबियां है उर्वरक क्षमता है बुवाई का समय उन्नतशील किस्मों आदि प्रकार की जानकारी दी जाएगी आपको
उड़द का वानस्पतिक नाम – विद्ना मुंगो
उड़द ( urad ) फैंबसी कुल का पौधा है
उड़द ( urad ) की फसल का महत्व –
उड़द दाल के लिए उगाया जाता है यह एक दलहनी फसल होने के कारण वायुमंडलीय नाइट्रोजन को मर्दा में सहन करने की क्षमता होती है उड़द को पीसकर पापड़ विभिन्न प्रकार के व्यंजन भी बनाए जाते हैं उड़द में 24% प्रोटीन की मात्रा होती है इसका चारा पशुओं के लिए पौष्टिक होता है उड़द का उत्पत्ति स्थान भारतवर्ष माना जाता है राजस्थान में इसकी खेती कोटा ,उदयपुर खंड ,एवं सवाई माधोपुर, अलवर ,भरतपुर जिलों में की जाती है
जलवायु व मृदा –
उड़द की फसल के लिए जलवायु किस प्रकार की होनी चाहिए जिससे पैदावारी अच्छी हो सके उड़द की फसल के लिए उष्णकटिबंधीय पौधा होता है इससे आदर एवं जलवायु की आवश्यकता होती है राजस्थान में इसकी खेती मुख्यता वर्षा ऋतु में की जाती है 40 से 60 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र उड़द की खेती के लिए उपयुक्त माने जाते हैं पौधों की वृद्धि के लिए 21 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है उड़द की फसल के लिए
उड़द की खेती के लिए एक अच्छे जल निकास युक्त सभी प्रकार की मर्दाएं उपयुक्त होती है लेकिन अच्छी उपज के लिए दोमट , चिकनी मिट्टी दोनों मर्दा सर्वोत्तम मानी जाती है जिसका पीएच मान 7 से 8 के मध्य होना चाहिए
उड़द ( urad ) की फसल के लिए भूमि की तैयारी किस प्रकार करनी चाहिए –
उड़द की फसल के लिए एक जुला मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दो जुला देशी हल से या हीरो से करके पाट लगाकर खेत को तैयार करना चाहिए
उड़द ( urad ) की फसल के लिए उन्नतशील किस्म –
कृष्णा टी नो परंतु 19 पंक्तियों 30 बरखा जवार उड़द दो एलपीजी 20
उड़द की फसल के लिए बीज एवं बीज दर तथा बीज उपचार –
उड़द ( urad ) की शुद्ध फसल के लिए 15 से 20 किलो का बीज प्रति हेक्टर की दर से आवश्यकता होती है तथा मिश्रित फसल के लिए 8 से 10 किलो का बीज प्रति हेक्टर की दर से आवश्यकता होती है बुवाई से पूरे प्रति किलो बीज 3 ग्राम टायरों या दो ग्राम कार्बनडीए जिम से उपचारित करने के बाद अन्य दलनों की तरह राजू भीम कलर से उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए ताकि फसल में कोई कट न लगे कोई फंगस नहीं हो सके फसल स्वस्थ एवं अच्छी रहे
बुवाई का समय तथा बुवाई की विधि –
उड़द ( urad ) की फसल के लिए वर्षा प्रारंभ होने पर 15 जून से 15 जुलाई के मध्य बुवाई कर देनी चाहिए उड़द की फसल की बुवाई पंक्तियों में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेमी पर करनी चाहिए बीज को 4 से 5 सेमी गहराई पर होते हैं
खाद एवं उर्वरक –
उड़द की फसल के लिए एक डालनी पौधा होने के कारण इसको नाइट्रोजन 20 किलोग्राम तथा फास्फोरस 60 किलोग्राम पोटाश 30 किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से दे देनी चाहिए ताकि फसल अच्छी हो सके
उड़द की फसल के लिए सिंचाई –
उड़द की फसल के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है समय पर वर्षा नहीं होने पर दो सिंचाई की आवश्यकता होती है विशेष कर पुष्प अवस्था एवं दाने बनते समय खेत में उचित नमी होना अतिआवश्यक है क्योंकि ताकि दोनों तथा पुष्कर्म का पकाव अच्छी तरह हो सके और फसल की पैदावार अच्छी प्राप्त कर सकते हैं
अंतरा कृषि –
फसल से खरपतवारओं को नष्ट करने के लिए 15 से 30 दिन के बीच 12 निराई गुड़ाई करनी चाहिए जिससे वायु संचार होने से पौधों की ग्रंथियों में क्रियाशील जीवाणुओं द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन एकत्रित करने में सहायता मिलती है रासायनिक नियंत्रण हेतु खेत तैयार करते समय बुवाई से पूर्व पिंडी मिथाईलीन 3 लीटर या 1 किलो 2 लीटर को 500 लीटर पानी में मिलाकर बोने के बाद अंकुरण से पूर्व भूमि में प्लेटफॉर्म 9 जलयुक्त पंप से भिलाई ताकि खरपतवार नहीं हो सके और फसल का भाव अच्छी तरह से हो सके
पादप संरक्षण –
उड़द की फसल के लिए पादप संरक्षण मूंग की फसल के समान ही होता है
कटाई एवं मड़ई-
उड़द की फसल की किस्म के अनुसार 80 से 100 दिन में पक कर तैयार हो जाती है जबकि चित्र से 80% फलिया पक जाती है तो कटाई कर लेनी चाहिए कटाई हसिया दातली से की जाती है फसल को 6 से 7 दिन तक सुखाकर मढ़ई कर लेते हैं मड़ाई थ्रेसर से करते हैं
उड़द ( urad ) की फसल की उपज –
उड़द की फसल की उन्नत विधि से खेती करने पर 8 से 10 क्विंटल उपज प्रति हैक्टर प्राप्त होती है
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